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यह है अखबार का दफ्तर

bkvas
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यह है अखबार का दफ्तर
कहने को आजादी का पक्षधर
लिखने की आजादी
लेकिन यह है आधा-अधूरा सच
यहां कदम-कदम पर हैं बंदिशे
यह मत करो, वह मत करो
ऐसा मत करो, वैसा मत करो
सही तथ्य यह नहीं, वह है
इन्हें उपकृत करो,उन्हें बदनाम
कहने को है सतत जागरूक
लेकिन यहां वही सुखी है
जो सो रहे हैं.
यहां आखें खुली रखना
बुराइयों पर नजर रखना
सच्चाई बयां करना
है गुनाह।
यहां तेल लगाना
चापलूसी करना.
और करना जी हुजूरी
है सबसे काम जरूरी
यहां ठकुरसुहाती बतियाएं
अहो रूपम, अहो ध्वनि अलापें
ट्रैक पर रहें
तो बढ़ेगी पगार, मिलेगी पदोन्नति
नही तो ढकेल दिए जाएंगे
यार्ड के अंधेरे कोने में
असीम मानसिक यातनाओं के साथ।

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