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ऊफ। यह क्या ?

bkvas
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25 हजार मौतें

26 साल बाद

सजा, मात्र दो साल।

यह है भारतीय न्यायालयों की त्रासदी

डूब मरना चाहिए ऐसी न्याय व्यवस्था को

जो देती है ऐसी सजा।

हम भले ही हों स्वाधीन

हमारी न्याय व्यवस्था है पराधीन

यह हमें न्याय नहीं देती

न्याय की आस दिलाती है

पीड़क को आराम दिलाती है

पीड़ित को तिल-तिल मारती है

इसे बनाया था गोरे हुक्मरानों ने

जो नहीं चाहते थे गुलामों  को देना न्याय

ताउम्र उलझाए रखना चाहते थे कोर्ट-कचहरी में

काले हुक्मरानों ने भी इसे जारी रखा

इसीलिए यहां है न्याय के नाम पर

अंतहीन इंतजार, पीढ़ी दर पीढ़ी।

 

 

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